गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया ‘गौरैया’ का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है।

फुँदना, ‘फुलगेंदा’ का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे- मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी- मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम, टेसन/टिसन-स्टेशन।


क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ शब्द तथा उनके मूल रूप:


क्षेत्रीय बोली मूल रूप


सकत शक्ति


मुलुक मुल्क


जुरती जुड़ती


हुलस उल्लास


मानुष मनुष्य


अपन अपने


बावरा बावला


भिनसार भोर, प्रभात


दुपहर दोपहर


बरधा बैल


मल्लार मल्हार


पाठ से अलग


सकूटर स्कूटर


टेशन स्टेशन


बखत वक्त


फिलम फिल्म


सकूल स्कूल


उमर उम्र


घनी/घने बहुत


इस्कूल स्कूल


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